प्रत्याशी चयन में उलझी कांग्रेस                              
 खिलावन चंद्राकर                            
 भोपाल 15 जून, कोरोना संक्रमण काल में आ रही कई कठिनाइयों के बावजूद भाजपा ने उपचुनाव प्रचार अभियान की औपचारिक शंखनाद कर दी है।  रायसेन जिले के सांची विधानसभा क्षेत्र में ग्राम मेहगांव से इसकी शुरुआत हुई। अनुसूचित जाति सुरक्षित इस क्षेत्र में सिंधिया समर्थक शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रभु राम चौधरी के विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने के बाद यह उपचुनाव होने जा रहा है। 2 विधायकों के निधन के बाद रिक्त हुये सीट के साथ ही मध्य प्रदेश के अन्य 23 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां उपचुनाव होने हैं। कोरोना काल और लॉकडाउन के कारण चुनाव आयोग ने भले ही अभी चुनाव की घोषणा नहीं की है किंतु शिवराज सरकार के बने रहने और पिछली कांग्रेस  सरकार की वापसी के बीच झूल रहे इस उपचुनाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही परंपरागत प्रतिद्वंदी दल इसमें पूरी ताकत झोंकेगी. इस बीच बसपा ने भी तीसरी ताकत के रूप में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।इसमें ग्वालियर चंबल संभाग की कई सीटें ऐसी है जहां बसपा प्रत्याशी निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं।
सुरखी का दौरा रद्द
सांची के मेहगांव में सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, क्षेत्र के चुनाव प्रभारी रामपाल सिंह और लगभग तय शुदा प्रत्याशी डॉक्टर प्रभु राम चौधरी की मौजूदगी में मंच से प्रवासी मजदूरों को जॉब कार्ड वितरण किया गया। इस दौरान क्षेत्र के लगभग 400 कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए। खास बात यह रही की अभी तक नाराज समझे जा रहे पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ गौरीशंकर शेजवार भी अपने समर्थकों के साथ कार्यक्रम में मौजूद रहे।लेकिन पूरे समय डॉ शेजवार और उनके समर्थकों का एटीट्यूड ऐसा नहीं रहा जिसे सामान्य कहा जा सके। भाजपा के चुनाव अभियान का दूसरा कार्यक्रम  सागर जिले के सुरखी विधानसभा क्षेत्र में बाशागांव में रखा गया था। किंतु शुरुआती मानसूनी मौसम के कारण पंडाल गिर जाने और हेलीपैड में जलभराव से ऐन मौके पर यह कार्यक्रम निरस्त कर दिया गया और मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष मेहगांव से ही वापस भोपाल लौट आए।बता दे कि यहां से भी सिंधिया समर्थक और मौजूदा खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भाजपा प्रत्याशी के रूप में उप चुनाव लड़ेंगे। राजधानी भोपाल के निकट दोनों ही विधानसभा क्षेत्र को जीतना भाजपा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। संभवत यही कारण है कि भाजपा ने अपने अभियान की शुरुआत इसी दोनों क्षेत्र से की है।
प्रत्याशी को लेकर मंथन
दूसरी ओर कांग्रेस में आज ग्वालियर चंबल संभाग के 16 सीटों में होने जा रहे उपचुनाव को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के निवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई .जिसमें विधानसभा वार प्रत्याशी चयन को लेकर नेताओं के बीच गहन मंथन हुआ। बैठक में क्षेत्र के कई महत्वपूर्ण कांग्रेस नेता टिकट के दावेदारों में बालेंद्र शुक्ला ,रश्मि पवार सहित अन्य दावेदार  कमलनाथ के सहयोगी पूर्व मंत्री बाला बच्चन ,तरुण भारत ,जीतू पटवारी और पी सी शर्मा भी मौजूद रहे। प्रत्याशी चयन के लिए क्या मापदंड होंगे यह तो पता नहीं चल पाया किंतु कई सीटों पर भाजपा और बसपा के ताकतवर नेताओं को पार्टी में शामिल कर उपचुनाव में उतारने की रणनीति बनाई गई ऐसी खबर बाहर आई ।
भाजपा आगे ,कांग्रेस पीछे                        
  चुनावी तैयारियों को लेकर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा कई कदम आगे निकल चुकी है जबकि सत्ता से विमुख हो चुकी कांग्रेस काफी पिछड़ी हुई दिखाई दे रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि भाजपा को 24 में से 22 उप चुनाव क्षेत्रों के लिए प्रत्याशी चयन की मशक्कत नहीं करना है। पार्टी ने कांग्रेस से भाजपा में आए सभी पूर्व विधायकों एवं पूर्व मंत्रियों को टिकट देने का मन बना लिया है, सिर्फ औपचारिक घोषणा बाकी माना जा सकता है। भाजपा को विधायकों के निधन के कारण रिक्त हुए मात्र 2 सीटों पर ही नए सिरे से प्रत्याशी चयन को लेकर मंथन करना है। दूसरी ओर कांग्रेस अभी कई विधानसभा क्षेत्रों में गफलत की स्थिति में है। अभी तक स्थिति यह स्पष्ट नहीं हो पाई है की कितने नेता कांग्रेस में बने रहेंगे और कितने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा का रुख करेंगे। ऐसी दशा में कांग्रेस न सिर्फ प्रत्याशी चयन के मामले में पिछड़ गई है बल्कि चुनावी तैयारियों को लेकर मैदानी स्तर पर पार्टी का कोई महत्वपूर्ण कार्य नजर नहीं आ रहा है।

 

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